जांच होने के बाद लोकपाल दो कार्यवाही करेगा -
एक तो ये कि जो भ्रष्ट अपफसर है उसको नौकरी से निकालने की पावर लोकपाल के पास होगी। उनको एक सुनवाई (हियरिंग) देकर, जांच के दौरान जो सबूत और गवाह मिले उनकी सुनवाई करके, लोकपाल दोषी अधिकारी को नौकरी से निकालने का दण्ड देगा ...या उनके खिलाफ विभागी कार्रवाई का आदेश देगा या कोई और भी पेनल्टी लगा सकता है। जैसे उनकी तरक्की रोकना, उनकी इन्क्रीमेण्ट रोकना आदि। इस तरह की भी पेनल्टी उन पर लगा सकता है।
दूसरी चीज़ जो लोकपाल करेगा वो ये कि जांच के तहत जो सबूत मिले उन सबके आधार पर वह ट्रायल कोर्ट के अन्दर मुकदमा दायर करेगा और इन लोगों को जेल भिजवाने की कार्यवाही शुरू करेगा।
तो कुल मिलाकर दो चीज़े हो गई। एक तो उनको नौकरी से निकालने की कार्यवाही शुरू हो जाएगी। इसका अधिकार लोकपाल को होगा। वह सीधे-सीधे आदेश देगा उन्हें नौकरी से निकालने के लिए और दूसरा ये कि उन्हें जेल भेजने के लिये अदालत में
एक तो ये कि जो भ्रष्ट अपफसर है उसको नौकरी से निकालने की पावर लोकपाल के पास होगी। उनको एक सुनवाई (हियरिंग) देकर, जांच के दौरान जो सबूत और गवाह मिले उनकी सुनवाई करके, लोकपाल दोषी अधिकारी को नौकरी से निकालने का दण्ड देगा ...या उनके खिलाफ विभागी कार्रवाई का आदेश देगा या कोई और भी पेनल्टी लगा सकता है। जैसे उनकी तरक्की रोकना, उनकी इन्क्रीमेण्ट रोकना आदि। इस तरह की भी पेनल्टी उन पर लगा सकता है।
दूसरी चीज़ जो लोकपाल करेगा वो ये कि जांच के तहत जो सबूत मिले उन सबके आधार पर वह ट्रायल कोर्ट के अन्दर मुकदमा दायर करेगा और इन लोगों को जेल भिजवाने की कार्यवाही शुरू करेगा।
तो कुल मिलाकर दो चीज़े हो गई। एक तो उनको नौकरी से निकालने की कार्यवाही शुरू हो जाएगी। इसका अधिकार लोकपाल को होगा। वह सीधे-सीधे आदेश देगा उन्हें नौकरी से निकालने के लिए और दूसरा ये कि उन्हें जेल भेजने के लिये अदालत में
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