सोमवार, 12 मार्च 2012

'शहादत' शब्द प्राय अपने देश,धर्म की रक्षार्थ अपने प्राण न्यौछावर करने वालों के लिए होता है.शहीद के लिए जहाँ एक ओर ह्रदय में भावनाओं का ज्वार उमड़ता है,परिजन हितैषी,मित्रगण और देश व धर्म के प्रति श्रद्धा रखने वालों के हृदय भी द्रवित होते हैं,साथ ही एक गर्व की भी अनुभूति भी होती है.ये शहीद इतिहास में श्रद्धापूर्वक स्मरण किये जाते हैं.देश की रक्षा करते हुए ऐसे वीरों की गणना नहीं की जा सकती.
... हमारे देश में ऐसे शहीदों की भी कमी नहीं ,जो अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपनों के ही हाथों अपने प्राण गंवा बैठे.ऐसे ही भारतमा के सपूतों में एक नरेंद्र ,जिनकी अजन्मी संतान को माफियाओं ने पितृ छाया से वंछित कर दिया,हँसती पत्नी का सिन्दूर उजाड दिया और देश के लिए कर्तव्य पालन करने वाले को क्या पुरस्कार मिलता है ये बता दिया .कौन देगा इन शत्रुओं को सजा? आवाज़ तो बुलंद करें

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