रविवार, 27 मई 2012

मसिजीवी

थेकेडी के एक मसाला उद्यान की यात्रा

देश के तमाम राज्‍यों की तुलना में पर्यटन का जितना विकास केरल ने किया है उतना शायद किसी और राज्‍य ने नहीं। पर्यटन के इस विकास में उनकी रचनात्मकता की विशेष भूमिका है। मसलन बैकवाटर्स को ही लें...अस्‍सी के दशक तक इसे यातायात की बाधा के रूप में देखा जाता था लेकिन दो दशक में ये केरल के यूएसपी के रूप में उभरे हैं, हाउसबोट, आयुर्वेद, मार्शलआर्ट, कुच्‍चीपुड़ी कथकली और यहॉं तक कि मसाले। मसाले जो शुद्ध रूप से एक व्‍यावसायिक गतिविधि हैं को केरलवासियों ने एक पर्यटन गतिविधि बना दिया है। जगह जगह विशेष‍कर थेकेडी इलाके में मसालों के उद्यान लगाए गए हैं जिनका उद्देश्‍य मसाला उत्‍पादन कम है वरन नर्सरी के रूप में एक ही जगह अलग अलग मसालों के चंद पौधे उगाकर उन्‍हें पर्यटकों को दिखाकर उनके विषय में बताना तथा फिर मसाने बेचना, मूल उद्देश्‍य है।
पिछले दिनों हम केरल की यात्रा पर थे वहीं ऐसे ही एक उद्यान में हम गए...सौ रुपए प्रतिव्‍यक्ति की एंट्री फीस अधिक तो लगी (इसका अधिकांश हिस्‍सा उस ड्राइवर को चुपचाप दे दिया जाता हे जो पर्यटकों को ला ता है। नर्सरी मालिक की आमदनी उस बिक्री से होती है जो इन पर्यटकों को मसाले बेचने से होती है)। तो लीजिए आनंद कुछ ऐसे पौधों के चित्रों का जिनके उत्‍पादनों का आनंद तो हम अपने खाने में लेते हैं लेकिन इन पौधों तथा उस प्रक्रिया से अनजान थे जिनसे ये मसाले बनते हैं-
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मीठी शुरुआत- चॉकलेट के पौधे से, इस फल से एक कड़वा कसैला पदार्थ मिलता है जो प्रोसेसिंग के बाद मीठी चॉकलेट में बदल जाता है। ध्‍यान रहे कि केरल के इस हिस्‍से में शानदार घर की बनी चाकलेट खूब खाने को मिलती है।
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ये दुनियाभर में भारत की पहचान कालीमिर्च का पौधा है, दरअसल सही कथन होना चाहिए गोलमिर्च क्‍यों हमें बताया गया कि काली, हरी तथा सफेद गोलमिर्च इसी एक पेड़ से मिलती है...साल में अलग समय तोड़ने तथा प्रोसेसिंग की भिन्‍नता के कारण इनके रंग व तीखापन बदल जाता है।
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अन्‍नानास
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थेकेडी की विशेष पहचान यहॉं की इलायची
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ये बांस की तरह पतला लेकिन नारियल की तरह ऊंचा पेड़ सुपारी का है...अपना दिल तोIMG_3222 इस बात से ही दहल गया कि किसी के पान के स्‍वाद के लिए इस पेड़ पर बाकायदा चढ़कर सुपारी तोड़नी होती है।
तब कहीं जाकर ये फल प्राप्‍त होते हैं, जी हुजूर सुपारी का फल यही है...पान में डाली जाने वाली कठोर वस्‍तु इसी फल में छिपी है।

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ये वृक्ष मजेदार है इसके पत्‍ते ही तेजपात कहे जाते हैं...उससे भी मजेदार ये कि इसी वृक्ष के तने की छाल दालचीनी कहलाती है। जिसे तीन तीन साल की शिफ्ट में तने के आधी आधी ओर से छीला जाता है।
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मौसम न होने के कारण फल दिखाई नहीं दिए पर ये पौधा जायफल (Nutmeg)का है इसकी खसियत ये कि जब फूल होता हे तो वह जावित्री कहलाता है और फल हो, तो हो जाता है जायफल (हम मानते थे ये दो एकदम अलग चीजें हैं :))
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विशेष औषधीय लाल केले... केले की एकमात्र प्रजाति जिसमें फल ऊपर से नीचे के स्‍थान पर नीचे से ऊपर की ओर फलता है।
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इसे पर्यटन की समझ ही कहा जाएगा कि अधिकांश मसाला नर्सरियों ने ये समझते हुए कि ज्ञानवर्धक ओवरडोज बच्‍चों के लिए बोरिंग हो सकता है..उन्‍होंने एक बेहद ऊंचा ट्रीहाउस बना रखा हे जो बच्‍चों को बेहद पसंद आता है।

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