मेरे सपने!
अथाह सागर को
एक नन्ही सी
नाव के सहारे
नाप आये...
मेरे
सपने!
विस्तार कितना है
जीवन का
सब सत्य
भांप आये...
मेरे
सपने!
विशाल अम्बर पर
विचरण कर
वहाँ अपनी शब्दावली
छाप
आये...
मेरे सपने!
सारी घृणा
सकल कृत्रिमता को
इकठ्ठा
कर
ताप आये...
मेरे सपने!
आशान्वित हो
दुर्गम राहों को
बड़ी
सुगमता से
नाप आये...
मेरे सपने!
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