सोमवार, 29 जुलाई 2013

माओवादी-नक्सलवादी आन्दोलन

जिन युवाओं को भारत में माओवादी-नक्सलवादी आन्दोलन का इतिहास ध्यान में नहीं है उनके लिए यह संक्षिप्त नोट लिख रहा हूँ। यह उनको परिस्थितियों के बारे में सोचने-समझने तथा एक बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा। 

1962 में जब भारत पर चीन ने आक्रमण किया तो पूरे बंगाल में वामपंथियों (communists) ने चीन के चेयरमैन माओ के स्वागत के बड़े-बड़े होर्डिंग-बैनर लगा दिए। वो चाहते थे की भारत पर चीन का साम्राज्य हो जाए जिससे की भारत एक कम्युनिस्ट देश बन जाए और यहाँ उनका शासन हो जाए।

वर्तमान माओवादी-नक्सलवादी आन्दोलन के नेताओं को चीन द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI उनको धन व हथियार उपलब्ध कराती है। नीचे चित्र देखें >>

2009 में भारत के 10 राज्यों के करीब 180 जिले नक्सलवादी हिंसा प्रभावित थे। 2011 में 9 राज्यों के करीब 83 जिलों में ये संख्या सिमट कर रह गयी। छत्तीसगढ़ राज्य आज नक्सलवादी हिंसा का केंद्र है। नीचे मानचित्र देखें >>

1989-2012 के 23 वर्षों के बीच इस रक्त-रंजित तथाकथित "आन्दोलन" के कारण आम नागरिकों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, सिपाहियों और नक्सलवादियों सहित 11,700 से अधिक लोग मारे गए हैं।

आज की स्थिति यह है की इस "आन्दोलन" की आड़ में षड्यंत्रपूर्वक भारत को प्रशासनिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से कमज़ोर किया जा रहा है।

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