भगवान यमराज की तपस्थली "किंकालेश्वर महादेव"
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भगवान यमराज की तपस्थली "किंकालेश्वर महादेव" |
सम्पूर्ण देवभूमि उत्तराखण्ड ऋषि मुनियों व देवताओं की तपस्थली रहा है । प्राचीनकाल से ही भक्तगण यहां निष्टापूर्वक अपने अपने अराध्यों की स्तुति करते आ रहे हैं । महर्षि नारद की तपस्थली "रुद्रप्रयाग" और भगवान राम की तपस्थली "देवप्रयाग" के बाद मै आज आपको भगवान यमराज की तपस्थली "किंकालेश्वर महादेव" की जानकारी देना चाहता हूं ।
गढ़वाल मण्डल मुख्यालय पौड़ी से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह सिद्धपीठ लगभग २२०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । मन्दिर के चारों तरफ़ बांज, बुरांश, चीड़ तथा देवदार का घना जंगल है । पौड़ी शहर के शिखर पर प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण, शांत व मनोहारी स्थान पर स्थित इस मन्दिर के प्रांगण से शुभ्र हिमालय की लम्बी हिमाच्छादित पर्वत श्रखंला की मुख्य चोटियों जैसे चौखंबा, त्रिशूल, नन्दादेवी, त्रिजुगी नारायण, हाथी पर्वत तथा बद्रीकेदार क्षेत्र के नयनाभिराम दर्शन होते है ।
स्कन्दपुराण में इस स्थान का वर्णन कुछ इस प्रकार से है कि ताड़कासुर से पीड़ित व भय से आक्रान्त होकर भगवान यमराज ने इस "कीनाश" पर्वत पर आकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की । उनकी शिवभक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को दर्शन दिए, तथा वर मांगने को कहा, भगवान यमराज ने भगवान शिव से दो वरदान मांगे पहला यह कि "आप इस स्थान पर पार्वती सहित निवास करें" तथा दूसरा यह कि "मेरी आपके श्रीचरणों में सदैव भक्ति बनी रहे" । कहा जाता है कि भगवान यमराज को दिये वरदान के कारण ही भगवान शिव यहां कंकालेश्वर के रुप में विराजमान हैं ।
आज भी यहां शिवरात्रि के अवसर पर मन्दिर में भव्य एवम विशाल मेला लगता है, साथ ही श्रावणमास के हर सोमवार को व्रत धारण किए श्रद्धालु शिवलिंग का जल एवम दूध से जलाभिषेक करने आते है । वर्षभर यहां सुखी एवं समृद्धशाली भावी जीवन की कामना लेकर शिवदर्शन करने हेतु नवविवाहित युगल आते रहते हैं ।
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