इन मासूमों का क्या दोष ?

इंसान की जिंदगी में भगवान् की सबसे बड़ी
और सबसे प्यारी नेमत होती है उसकी संतान ! भारत देश में तो संतान पर जान
लुटाने वाले किस्से भी खूब प्रचलित हैं ! यह बताने की शायद जरुरत नहीं कि
भारत में औरत को तब तक औरत होने का पूर्ण दर्ज़ा नहीं मिल पाता जब तक कि उसे
संतान उत्पत्ति ना हो ! लेकिन इसी संतान को जब कोई उनकी आँखों से ओझल कर
देता है तो उनकी मनो दशा क्या होती होगी , आसानी से समझा जा सकता है ! जिस
संतान को पाने के लिए लोग मंदिरों और दरगाहों के दर पर भटकते रहते हैं ,
उनके लाडलों को जब कोई उठा ले जाता है तो कितना दर्द होता होगा उन्हें , ये
कोई समझने को तैयार नहीं होता ! पिछले कुछ दिनों से लगातार बच्चों को अगवा
किये जाने की घटनाओं ने दिल को इतना बेचैन कर दिया है कि अपने मन के
द्वन्द को लिखने को जी चाहता है ! पहले हम पढ़ते थे कि बच्चों को ऊंट दौड़
में प्रयोग करने के लिए खाड़ी के देशों में भेजा जाता है इसलिए उन्हें
अगवा किया जाता था या गरीबों के बच्चों को खरीदा जाता था ! अब ये किस्से
ख़त्म हो गए हैं ! लेकिन फिर भी बच्चे अगवा हो रहे हैं ! गरीब के भी और
अमीर के भी ! अमीर के बच्चे फिरोती वसूलने के लिए और गरीब के बच्चे भीख
मांगने के लिए ! ये समझ नही आता कि आज़ादी के 65 वर्षों के बाद भी हमारे
कानून अपने आप को इतना व्यवस्थित और विश्वसनीय क्यों नहीं बना पाए ? या तो
हमारी सरकारें इस तरफ ध्यान नहीं देतीं या फिर कानून किसी का कुछ नहीं
बिगाड़ सकता ! अगर नेशनल सेण्टर फॉर मिसिंग चिल्ड्रन की रिपोर्ट को आधार
बनाएं तो दिल धक् से रह जाता है ! ये रिपोर्ट कहती है कि भारत में प्रति वर्ष करीब 10 लाख बच्चे अपने घरों से बिछड़ जाते हैं ! यानि हर 30 सेकण्ड में एक बच्चा गायब होता है ! कितना बड़ा आंकड़ा है ! अकेले दिल्ली में ही प्रतिवर्ष करीब 844 बच्चे गायब हो जाते हैं !
अब सवाल उठता है कि इतने बच्चे आखिर जाते कहाँ हैं ? ये जो आंकड़े दिए गए
हैं इनमें 12 साल तक के बच्चों को सम्मिलित किया गया है ! इन गायब हुए
बच्चों में से करीब 20 प्रतिशत बच्चे माता पिता की डांट और मार पिटाई की
वजह से घर छोड़ देते हैं और 10 प्रतिशत बच्चे हीरो बनने की लालसा में मुंबई
की तरफ भाग जाते हैं ! ऐसा देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा
बड़े शहरों में बच्चों के गायब होने के ज्यादा केस होते हैं ! मुझे दो
कारण समझ आते हैं ! एक तो गाँव में ज्यादातर लोग एक दूसरे के बच्चों को
जानते और पहिचानते हैं , इस तरह की सामाजिक कमी बड़े शहरों में दिखाई देती
है जहाँ लोग अपने बगल में रहने वाले से भी परिचित नहीं होते , दूसरे शहर के
बच्चे गाँव के बच्चों से ज्यादा महत्वकांक्षी और कोमल होते हैं ! जो थोड़ी
सी परेशानी या माँ -बाप की पिटाई से परेशान होकर घर छोड़ देते हैं ! यह सर्व
विदित है कि गाँव के बच्चों पर स्कूल और घर में ज्यादा मार पड़ती है लेकिन
वो ऐसा कदम बहुत कम ही उठाते हैं !
अब सवाल उठता है कि इतने बच्चे जाते कहाँ
हैं ? मुंबई से चुराई गई संगीता या अजमेर से उठाया गया नन्हा अजमल
भाग्यशाली हैं कि उनको चुराने वालों को सी सी टीवी में कैद कर लिया गया ,
ज्यादातर बच्चे कभी भी अपने घर लौट कर नहीं आ पाते ! इनके माँ बाप को
तड़पता हुआ छोड़कर , इनको चुराने वाले इन्हें दूसरों के हाथ कुछ हज़ार रुपयों
में ही बेच देते हैं और खरीदने वाला इन्हें अपनी प्रोपर्टी समझ लेता है !
इन्हें चाय की दुकानों में , छोटे छोटे होटलों में बर्तन साफ़ करने के लिए
लगा दिया जाता है और कमाई खाता है वो जिसने इन्हें खरीदा है ! जिन्हें कहीं
सेट नहीं किया जा सकता उनके चेहरे मोहरे को तैयार करके भीख मांगने के धंधे
में उतार दिया जाता है ! एक रिपोर्ट कहती है कि मुंबई में ऐसे बच्चे
ड्रग्स की स्मगलिंग में भी व्यस्त हैं क्योंकि इन पर कोई शक नहीं करता है !


हद तो ये है कि इनमें महिलाएं भी शामिल
है जिनके खुद के बच्चे भी हैं लेकिन उनको दूसरों के बच्चों का कोई दर्द
नहीं ? कैसी औरतें हैं ये ? क्या इन्हें भी हम पूज्य कह सकते हैं ? क्या
इन्हें भी हम देवी कह सकते हैं ?
बाल श्रम को रोकने के लिए कानून है ,
लेकिन कितना प्रभावी है ? बताने की जरुरत नहीं ! हर दूकान पर , हर छोटे
मोटे होटल में बच्चे काम करते हुए दिख जायेंगे लेकिन कौन रोक पाता है
उन्हें ? हर चौराहे पर , हर बस में और ट्रेन में भीख मांगते हुए बच्चे दिख
जायेंगे , कौन मना कर पाता है उन्हें ? ( मैं एक लड़की को नई दिल्ली के ओखला
क्षेत्र में कई दिनों से सिर में पट्टी लगाकर भीख मांगते हुए देख रहा हूँ ,
पट्टी जरूर बंधी है लेकिन महीनो पुरानी है वो शायद )! क्या सरकार की नींद
टूटेगी ? क्या वो सिर्फ एक संगीता के लिए ही कोशिश करेगी या कि और जो
संगीता हैं और अजमल हैं उनके लिए कुछ कर सकती है ? हम और आप क्या कर सकते
हैं , ये भी सोचियेगा ! दिल पर हाथ रखकर एक बार , सिर्फ एक बार सोचियेगा !
अगर भगवान् ना करे हमारे बच्चों के साथ ऐसा हुआ तो ?
एक गीत के कुछ शब्दों के साथ अपनी बात ख़त्म करता हूँ :
तुझे सूरज कहूं या चंदा
तुझे दीप कहूं या तारा |
मेरा नाम करेगा रोशन
जग में मेरा राजदुलारा
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