अनुसूया देवी का मंदिर उत्तराखंड
मंदिर अनुसूया देवी का मंदिरउत्तराखंड के चमोली जिले केमुख्यालय से १३ किलोमीटर औरवहां से ५ किलोमीटर की दूरी परउत्तर दिश में कीलांचल पर्वत(ऋषयकुल पर्वत) के तलहटी मेंस्थित है! यहाँ पञ्च केदारो के एकश्री रुद्रनाथ की दूरी १४किलोमीटर की दूरी (पैदल मार्ग)रह जाती है! अनुसूया देवी से पश्चिम की और से पंच केदारो में ही एक श्री तुंगनाथ का मंदिर है ! इस प्रकार यह मंदिर तुंगनाथके मध्य ७२०० फीट की ऊँचाई पर अवस्थित एक प्रसिद्ध सिद्दीपीठ के रूप में मान्यता है ! श्री अनुसूया माता के मंदिर निकटमहर्षि आत्री तपोस्थली और दत्तात्रेय है ! पौराणिक कहानी ब्रह्मा के मानस पुत्र व सप्त ऋषियों में वर्णित मह्रिषी अत्री वैदिकसूक्त द्रष्टा ऋषि थे, उन्ही की पत्नी अनुसूया कर्दम प्रजाति और देवहूति की कन्या थी! देवी अनुसूया को पतिव्रताओ कीआर्दश और शालीनता की दिव्य प्रतीक माना जाता है ! पौराणिक कथाओ के अनुसार सती अनुसूया के पति मह्रिषी की लम्बीतपस्या से देवगण घबरा गये और ब्रह्मा, विष्णु, महेश, अत्री के समक्ष प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा ! महर्षिअत्री ने कहा ऋषि का स्वभाव तप करना है, वरदान लेना नहीं! यदि अनुसूया चाहे तो वरदान मांग सकती है ! लेकिनपतिव्रता अनुसूया ने वरदान लेने से इनकार कर दिया जिससे त्रिदेव रुष्ट हो गये! इसी पौराणिक आख्यान से जुदा एकप्रसंग है की माँ पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती में सतीत्व को लेकर आपस में विवाद हो गया जिसके निराकरण के लिए त्रिदेवब्रह्मा, विष्णु, महेश बदलकर माँ अनुसूया की परीक्षा लेने गए! तीनो ने मांग की माँ अनुसूया नग्न अवस्था में भोजन कराये!देवी अनुसूया तनिक भी विचलित नहीं हुयी और उने नग्न अवस्था में भोजन कराने की स्वीकृति दे दी! देवी अनुसूया ने लौटेसे गंगा जल लेकर तीनो देवो पर छिड़क दिया और तीनो नवजात शिशुओ के रूप में बदल गये और किल्कारिया मरने लगे!माँ अनुसूया ने उन्हें स्तनपान कराया!उधर तीनो देविया पतियों के वियोग से दुखी हो गए और ब्रह्मा के मानस पुत्र ब्रहऋषिनारद के सुझाव पर माँ अनुसूया के समक्ष अपने पतियों को पूर्व रूप में लाने की प्रार्थना करने लगी! अनुसूया माता ने अपनीसतीत्व से तीनो देवो को फिर से पूर्व रूप में कर दिया ! तभी से अनुसूया माता, सती अनुसूया से नाम से प्रसिद्ध हो गयी!त्रिदेवो के वरदान से उन्हें चन्द्रमा, दत्तात्रेय एव दुर्वासा पुत्र प्राप्त हुए!
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