महलों, बगीचों और मंदिरों का नगर, है, कर्नाटक संगीत व नृत्य काप्रमुख केंद्र

मैसूर में ऐतिहासिक महत्व की जगहों के अलावा भी ऐसी बहुत सी जगहें हैं जहां आप जा सकते हैं। यह शहर सिर्फ बड़ों के ही नहीं बल्कि बच्चों के मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखता है।
मैसूर महल
यह महल मैसूर में आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। मिर्जा रोड पर स्थित यह महल भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है। इसमें मैसूर राज्य के वुडेयार महाराज रहते थे। जब लकड़ी का महल जल गया था, तब इस महल का निर्माण कराया गया। 1912 में बने इस महल का नक्शा ब्रिटिश आर्किटैक्ट हेनरी इर्विन ने बनाया था। कल्याण मंडप की कांच से बनी छत, दीवारों पर लगी तस्वीरें और स्वर्णिम सिंहासन इस महल की खासियत है। बहुमूल्य रत्नों से सजे इस सिंहासन को दशहरे के दौरान जनता के देखने के लिए रखा जाता है। इस महल की देखरख अब पुरातत्व विभाग करता है।
समय: सुबह 10 बजे-शाम 5.30 बजे तक, उचित शुल्क, जूते-चप्पल अंदर ले जाना मना, कैमरा ले जाना मना। महल रविवार, राष्ट्रीय अवकाश के दिन शाम 7-8 बजे तक और दशहर के दौरान शाम 7 बजे-रात 9 बजे तक रोशनी से जगमगाता है।
जगनमोहन महल
इस महल का निर्माण महाराज कृष्णराज वोडेयार ने 1861 में करवाया था। यह मैसूर की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। यह तीन मंजिला इमारत सिटी बस स्टैंड से 10 मिनट कर दूरी पर है। 1915 में इस महल को श्री जयचमाराजेंद्र आर्ट गैलरी का रूप दे दिया गया जहां मैसूर और तंजौर शैली की पेंटिंग्स, मूर्तियां और दुर्लभ वाद्ययंत्र रखे गए हैं। इनमें त्रावणकोर के शासक और प्रसित्र चित्रकार राजा रवि वर्मा तथा रूसी चित्रकार स्वेतोस्लेव रोएरिच द्वारा बनाए गए चित्र भी शामिल हैं।
समय: सुबह 8.30-शाम 5.30 बजे तक, कैमरा ले जाना मना
चामुंडी पहाड़ी
मैसूर से 13 किमी. दक्षिण में स्थित चामुंडा पहाड़ी मैसूर का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस पहाड़ी की चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। मंदिर मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है। मंदिर की इमारत सात मंजिला है जिसकी कुल ऊंचाई 40 मी. है। मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी है जो 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। पहाड़ की चोटी से मैसूर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। मंदिर के पास ही महिषासुर की विशाल प्रतिमा रखी हुई है। पहाड़ी के रास्ते में काले ग्रेनाइट के पत्थर से बने नंदी बैल के भी दर्शन होते हैं।
पूजा का समय: सुबह 7.30-दोपहर 2 बजे तक, दोपहर 3.30-शाम 6 बजे तक, शाम 7.30-रात 9 बजे तक
सेंट फिलोमेना चर्च
1933 में बना यह चर्च भारत के सबसे बड़े चर्च में से एक है। मैसूर शहर से 3 किमी. दूर कैथ्रेडल रोड पर स्थित यह चर्च निओ-गोथिक शली में निर्मित है। भूमिगत कमरे में तीसरी शताब्दी के संत इन संत की प्रतिमा स्थापित है। इसकी 175 फीट ऊंची जुड़वा मीनारें मीलों दूर से दिखाई दे जाती हैं। यहां की दीवारों पर ईसा मसीह के जन्म से लेकर पुनर्जन्म तक उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं का दर्शाती हुई ग्लास पेंटिग्स लगी हुई हैं। वर्तमान में इस चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से जाना जाता है। समय: सुबह 5-शाम 8 बजे तक
कृष्णराज सागर बांध या केआरएस बांध
1932 में बना यह बांध मैसूर से 12 किमी. उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसका डिजाइन श्री एम.विश्वेश्वरैया ने बनाया था और इसका निर्माण कृष्णराज वुडेयार चतुर्थ के शासन काल मे हुआ था। इस बांध की लंबाई 8600 फीट, ऊंचाई 130 फीट और क्षेत्रफल 130 वर्ग किमी. है। यह बांध आजादी से पहले की सिविल इंजीनियरिंग का नमूना है। यहां एक छोटा सा तालाब भी हैं जहां बोटिंग के जरिए बांध उत्तरी और दक्षिणी किनारों के बीच की दूरी तय की जाती है। बांध के उत्तरी कोने पर संगीतमय फव्वार हैं। बृंदावन गार्डन नाम के मनोहर बगीचे बांध के ठीक नीचे हैं।
समय: सुबह 7-रात 8 बजे तक
जीआरएस फैंटेसी पार्क
यह पार्क मैसूर का एकमात्र अम्यूजमेंट वॉटर पार्क है। 30 एकड़ में फैला यह पार्क सभी उम्र के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस पार्क के मुख्य आकर्षण पानी के खेल, रोमांचक सवारी और बच्चों के लिए तालाब हैं। जीआरएस पार्क मैसूर रलवे स्टेशन से 5 किमी. दूर है। पार्क के अंदर शाकाहारी खाने का एक रेस्टोरेंट भी है। बाहर से खाने-पीने का सामान लाना मना है।
समय: सोमवार से शुक्रवार सुबह 10.30-6 बजे तक, रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिन शाम 7.30 बजे तक, गर्मियों में शनिवार के दिन भी 7.30 बजे तक खुलता है।
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जीआरएस फैंटेसी पार्क
बाहरी मैसूर रिंग रोड, मेटागल्ली, मैसूर- 570 016
दूरभाष: 0821-2582781/ 82/ 83/ 84
फैक्स: 0821-2410714, 2410027.
मैसूर चिड़ियाघर
यह चिड़ियाघर विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इसका निर्माण 1892 में शाही संरक्षण में हुआ था। इस चिड़ियाघर में 40 से भी ज्यादा देशों से लाए गए जानवरों को रखा गया है। यहां के बगीचों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया और संभाला गया है। शेर यहां के मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा हाथी, सफेद मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और गोरिल्ला भी यहां देखे जा सकते हैं। चिड़ियाघर में करंजी झील भी है। यहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां एक जैविक उद्यान भी है जहां भारतीय और विदेशी पेड़ों की करीब 85 प्रजातियां रखी गई हैं।
समय: सुबह 8 बजे-शाम 5.30 बजे तक, मंगलवार को बंद
रेल संग्रहालय
यह संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित सीएफटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामने है। यहां मैसूर स्टेट रेलवे की उन चीजों को प्रदर्शित किया गया है जो 1881-1951 के बीच की हैं। 1979 में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा संग्रह है। यहां प्रदर्शित वस्तुओं में भाप से चलने वाले इंजन, सिग्नल, और 1899 में बना सभी सुविधाओं वाला महारानी का सैलून शामिल है। यहां का मुख्य आकर्षण चामुंडी गैलरी है जहां रेलवे विभाग के विकास का दर्शाती तस्वीरों का रखा गया है। यह संग्रहालय बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनके ज्ञान को भी बढ़ाता है।
समय: सुबह 10 बजे-दोपहर 1 बजे तक, दोपहर 3 बजे-रात 8 बजे तक
दशहरा
यूं तो दशहरा पूर देश में मनाया जाता है लेकिन मैसूर में इसका विशेष महत्व है। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। इसमें बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है। इस पूरे महीने मैसूर महल को रोशनी से सजाया जाता है। इस दौरान अनेक सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उत्सव के अंतिम दिन बैंड बाजे के साथ सजे हुए हाथी देवी की प्रतिमा को पारंपरिक विधि के अनुसार बन्नी मंटप तक पहुंचाते है। करीब 5 किमी. लंबी इस यात्रा के बाद रात को आतिशबाजी का कार्यक्रम होता है। सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी उत्साह के साथ निभाई जाती है।
मैसूर के आसपास दर्शनीय स्थल
नंजनगुड (22 किमी.)
यह नगर कबीनी नदी के किनारे मैसूर के दक्षिण में राज्य राजमार्ग 17 पर है। यह स्थान नंजुंदेश्वर या श्रीकांतेश्वर मंदिर (दूरभाष: 0821-226245) के लिए प्रसिद्ध है। दक्षिण काशी कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित लिंग के बार में माना जाता है कि इसकी स्थापना गौतम ऋषि ने की थी। यह मंदिर नंजुडा को समर्पित है। कहा जाता है कि हकीम नंजुडा ने हैदर अली के पसंदीदा हाथी को ठीक किया था। इससे खुश होकर हैदर अली ने उन्हें बेशकीमती हार पहनाया था। आज भी विशेष अवसर पर यह हार उन्हें पहनाया जाता है।
समय: सुबह 6.30-दोपहर 1 बजे तक, शाम 4-रात 8.30 बजे तक, रविवार, सोमवार और सरकारी छुट्टी के दिन सुबह 6.30-रात 8.30 बजे तक, अभिषेक का समय सुबह 7, 9, 11 बजे, दोपहर 12 बजे, शाम 5.30 और 7 बजे
श्रवणबेलगोला (84 किमी)
यहां का मुख्य आकर्षण गोमतेश्वर/ बाहुबली स्तंभ है। बाहुबली मोक्ष प्राप्त करने वाले प्रथम र्तीथकर थे। यहां जैन तपस्वी की 983 ई. में स्थापित 57 फुट लंबी प्रतिमा है। इसका निर्माण राजा रचमल्ला के एक सेनापति ने कराया था। यह प्रतिमा विंद्यागिरी नामक पहाड़ी से भी दिखाई देती है। श्रवणबेलगोला नामक कुंड पहाड़ी की तराई में स्थित है। बारह वर्ष में एक बार होने वाले महामस्ताभिषेक में बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं। यहां पहुंचने के रास्ते में छोटे जैन मंदिर भी देखे जा सकते हैं।
सोमनाथपुर (35 किमी.)
यह छोटा गांव मैसूर के पूर्व में कावेरी नदी के किनारे बसा है। यहां का मुख्य आकर्षण केशव मंदिर है जिसका निर्माण 1268 में होयसल सेनापति, सोमनाथ दंडनायक ने करवाया था। सितार के आकार के चबूतरे पर बने इस मंदिर को मूर्तियों से सजाया गया है। इस मंदिर में तीन गर्भगृह हैं। उत्तर में जनार्दन और दक्षिण में वेणुगोपाल की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मुख्य गर्भगृह में केशव की मूर्ति स्थापित थी किन्तु वह अब यहां नहीं है। समय: सुबह 9.30-शाम 5.30 बजे तक
कैसे पहुंचें
वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा बैंगलोर (139 किमी.) है। यहां से सभी प्रमुख शहरों के लिए उड़ानें आती-जाती हैं।
रेल मार्ग: बैंगलोर से मैसूर के बीच अनेक रेलें चलती हैं। शताब्दी एक्सप्रेस मैसूर को चेन्नई से जोड़ती है।
सड़क मार्ग: राज्य राजमार्ग मैसूर को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ते हैं। कर्नाटक सड़क परिवहन निगम और पड़ोसी राज्यों के परिवहन निगम तथा निजी परिवहन कंपनियों की बसें मैसूर से विभिन्न राज्यों के बीच चलती हैं।
खरीदारी
सय्याजी राव रोड पर बनी देवराज मार्केट में खूबसूरत शहरी पेंटिंग्स मिलती हैं। इस मार्केट में बहुत साफ-सफाई है। मैसूर की असली चंदन की लकड़ी के सामान लिए सय्याजी राव रोड पर बने कावेरी आर्ट एंपोरियम 0821-2521258 जा सकते हैं। यह एंपोरियम सरकार द्वारा संचालित है। सरकारी सिल्क फैक्टरी में जाकर आप मैसूर की सिल्क की साड़ियों को बनते हुए देख सकते हैं। सिल्क की साड़ियों को केआर सर्कल पर बने फैक्टरी शोरूम और थोक बाजार जा सकते हैं।
मैसूर- एक नजर में
राज्य: कर्नाटक
दूरी: बैंगलोर से 139 किमी. उत्तर पश्चिम में
भाषा: कन्नड़, अंग्रजी, तमिल, हिन्दी
तापमान: गर्मी अधि. 34 न्यू 21, सर्दी अधि 30 न्यू 12
वर्षा: औसतन 80 सेंमी
कब जाएं: अक्टूबर से मार्च
पर्यटक कार्यालय
क्षेत्रीय पर्यटक कार्यालय
ओल्ड एग्जिबिशन बिल्डिंग, इर्विन रोड, मैसूर
दूरभाष: 0821-2422096
केएसटीडीसी परिवहन विभाग
यत्री निवास बिल्डिंग, जेएलबी रोड, मैसूर.
दूरभाष: 0821-2423652, 2425349
एसटीडी कोड: 0821
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