रविवार, 23 दिसंबर 2012

बलात्कार या दुर्घटना ? !!

नमस्कार दोस्तों !!

आज हमारे देश का मुख्य मुद्दा देल्ही में हुए दामिनी के साथ बलात्कार और उसके बलात्कारी को मृत्यु दंड दिलाना है , मैं भी दामिनी जी के साथ हूँ वो इसलिए नहीं की सारी देश की जनता उनके साथ है परन्तु इसलिए की मैं भी उनके ऊपर किये गए कुकृत्य से दुखी हूँ ! इक मानव होने के नाते मानवता के दुश्मन हम सब के दुश्मन है और मैं ये इश्वर से प्राथना करता हूँ की जितना जल्द से जल्द हो दामिनी जी को अच्छा स्वाश्थ्य और उनके मुजरिमो को उचित दंड मिले !!

लेकिन मैं कुछ हट कर विशेष मुधो में आप का ध्यान खीचना चाहता हूँ जो इक समान्य सोच से बिलकुल अलग है और शायद इतने हो-हल्ला में आप के जेहन में भी ये चीजे शर्गोसी नहीं की होगी , मैं पहले ही माफ़ी मांग रहा हूँ आप सभी बंधुओं से और आखिर में भी माफ़ी मांगूंगा अगर कुछ आपकी नज़र में मेरी सोच गलत हो तो कृप्या बिना पूरा पढ़े किसी प्रकार की टिप्पणी और निष्कर्ष पे ना पहुंचे !

मैं पहले दिमिनी जी के लिए दो शब्द कहना चाहूँगा अपनी सभ्यता और संस्कारो में रह के मुझे पता है की दामिनी जी आप जिंदगी और मौत के बिच उलझी हुई है लेकिन जो आपके दोषी है वो भी आज जिंदगी और मौत के बिच उलझे हुए है सिर्फ इक आप के कारण चार लोग और उनसे जुडी उनके परिवार उनके बीबी बचे और माँ बाप का सहारा भी दाव पे है !  जहाँ तक मैं दामिनी जी के बारे में जान पाया हूँ आप इक गरीब मध्यम वर्ग परिवार में पैदा हुई थी और चुकी आप अपने माँ बाप की प्यारी और होनहार बेटी थी , आपके पिता जी ने अपने पूर्वजों द्वारा अर्जित की गयी जमींन बेच कर आप को मेडिकल की पढाई के लिए पुरे विश्वास के साथ देल्ही भेजा की इक दिन आप पढ़ लिख कर परिवार की मान मर्यादा और संस्कारों में चार चाँद लगाएंगी !

शायद इसलिए आपके पिता जी आप को देल्ही नहीं भेजा होगा की रात के ९ बजे आप अपने किसी पुरुष अनजान मित्र जिसमे आपकी रक्षा करने की शक्ति नहीं के साथ ................... पता नहीं आप क्यूँ गयी थी कहाँ गयी थी आप ही बेहतर जानती होगी ! लेकिन कोई भी इंसान अपने बचे से इन चीजों की उम्मीद नहीं करता चाहे वो लड़का का पिता हो या लड़की का अब तो कोई बाप अपने बेटी को ऐसा करने से पहले कई बार सोचेगा आप इक अच्छी मिशाल तो नहीं बन पाई हो मेरे समझ से , आज भले ही सारा देश आपके साथ है मैं भी हूँ  कितने लोग आप के पीछे अपना काम धंधा भूल सडको पे पुलिस के डंडे खा रहे है लेकिन आप खुद अपने आप को सोचेंगी तो शायद आप खुद के साथ भी नहीं होंगी ! ये सवाल मुझे पूछने का अधिकार नहीं था किन्तु अब जब ये पुरे राष्ट्र का मुधा बन गया है तो मुझ से रहा न गया ! क्यूंकि देश अब FDI जैसे मुधे भूल चुकी है आप के ऊपर ! और सचिन जी तो आपको भी गुम करने की कोशिश में है !

अब मैं आता हूँ उन जालिम बलात्कारियों पे ,...........  आप लोग ना तो किसी बड़े बाप की औलाद हो ना कोई बहुत बड़ा रईस जो की बलात्कार जैसे बड़े काम करने चले थे , आप कमाने खाने वाले लोग जिन पर अपके पूरे परिवार का भविष्य रोजी-रोटी निर्भर था ,ना जाने अब उनका क्या होगा ? शायद आप किसी बड़े बाप के बेटे होते किसी नेता या अभिनेता के तो आज इतना हो हल्ला नहीं होता , क्यूंकि न जाने आज से पहले कितनी ऐसी चीजे इस समाज में होकर दफ़न हो गयी है , मुझे आप की नहीं आप के परिवार की चिंता है , मैं चाहता हूँ की आप को मृत्यु दंड न देकर नपुंसक बना के छोर दिया जाये कम से कम आपका परिवार तो आबाद रहेगा !

अगर मृत्यु दंड देना है तो उनको दो जो शराब बेचते है बिना नियम कानून के जिसे पी लोग बहक जाते है और जघन्य अपराध कर बैठते है अब आप कहेंगे की दारु तो पीना जरुरी है लोग इतने भाग दौर और मेहनत करके परेशान हो जाते है तो उनके लिए इक लिमिट भर पीना जरुरी है “हाँ “  मैं भी कहता हूँ जरुरी है तो हर दारू पीनेवाला इक अपना दारू का राशन कार्ड की तरह कार्ड बनवाए और उनको इक दिन में उतना ही दारू दुकानों में मिले जितना इंसान के लिए जरुरी हो और सरकार से भी मेरी अनुरोध है की ऐसी ब्यवस्था लागू की जाए और गैर कानूनी दारू के अड्डों और दारू बनाने वालो को फांसी दे !

कल तक “ तू ही मेरा मंदिर तू ही मेरी पूजा तू ही देवता हो....” से “ कभी मेरे साथ इक रात गुजार तुम्हे सुबहा तक मैं करू प्यार “ जैसे गाने और फिल्मो को लाने बनाते वाले लोगो को भी फांसी दी जाये क्यूंकि दारू और फिल्म ये दोनों चीजे समझ को बहुत हद तक प्रभावित करती है ... यहाँ तक की हमारा सविंधान ये कहता हैं की हत्यारा से ज्यादा हत्या कराने वाला ब्यक्ति गुनाहगार होता है और उसको विशेष सजा दी जाती है ! क्यूँ की मेरा मनना है गुनहगार से पहले गुनाह के जड़ को नष्ट करो !

अब मैं अपने समाज के बदलते युवा महिलाओ को दो शब्द कहना चाहूँगा , आप का आज का नारा है “ नज़र बुरी तुम्हारी पर्दा मैं क्यूँ करूँ “ तो मैं आप से ये कहना चाहता हूँ की ये बात तो वही हो गयी की “ जहर जानलेवा तुम को तुम्हे टेस्ट करने से मैं क्यूँ डरूं” आज किसी भी पार्क में चले जाओ बेहया  बेशर्म सी बेपरवाह इक दूसरे को चुम्बन देते हुए लाखो युवा जोड़ियाँ मिल जाएँगी चाहे उनके पास उनके बाप के उम्र का माँ के उम्र का भाई जैसा कोई भी खड़ा हो किसी को कोई परवाह नहीं होता , कितने आपतिजनक स्थति में होते है लोग वहाँ, पार्क लोगो के घूमने फिरने के लिए बनाया गया है आप लोगो के जिश्म नुमाइश के लिए नहीं ,इतना शौक है प्यार करने का तो औकात भी होना चाहिए किसी सेफ जगह हायर करने का या इतना सचा प्यार है तो घर नहीं है आप के पास ? फिर भी आप को अगर पोर्न/बोलीवूद/हालीवुड स्टार बनना ही है तो पहले उनके जैसा बनो वो लोग आप की तरह आधे कपड़े पहन के खुले रोड पे नहीं घूमते , बसों में धक्के नहीं खाते , अगर आप को उनके जैसे खुले कपड़े पहनने का शौक है तो उनका हाई –स्टेंडर्ड भी अर्जित करना पड़ेगा , वैसी औकात भी होनी पड़ेगी की आप भी नंगी होकर अपनी कार अपने ऑफिस मेंटेन कर सको , किस चीज़ को अपनानी है तो पूरा अपनाओ अधूरा नहीं !

आज महिला के साथ कोई पुरुष ज्यादती करता है तो पूरा समाज उसे बलात्कारी करार देकर पत्थर मारता है मैं पूछना चाहता हूँ की हर गली हर मोहल्ले में लड़कियाँ जो नंगी जिश्म नुमाइश कर मर्दों का बलात्कार करती है , क्यां ये सही है ? माहिलाओ को ये अच्छी तरह पता है की उनके नंगेपन से मर्दों को परेशानी होती है जां बुझ के कम कपड़े पहनती है की लोग क्या कमेन्ट करते है उनको नोटिस करते है की नहीं ..
मगर कुछ बोलो तो उल्टा सवाल होता है “ क्या तुम्हारे घर में माँ-बहन नहीं है ?” तो मैं पूछना चाहूँगा की” तुम्हारा भाई बाप किस संस्कारो में जीता आया है की तुम को इतनी छूट दे रखा है? “ अब अगला सवाल होगा “ तुम जैसे जाहिल और गंवार नहीं है मेरे परिवार के लोग “ तो मैं पूछता हूँ की किसी घर में रिश्ता करने से पहले उसके परिवार के बारे में उसके खानदानी स्टेट्स के बारे में तो आप को जानने का मतलब भी नहीं होगी फीर किसी भी कोठे वाले जिनके पास पैसा और फैशन होगा आपका रिश्ता कर देंगे आपके घर वाले ? आप तो पकिस्तान से भी बड़ा दुश्मन है हिन्दुस्तान के लिए क्यूंकि नमक तो यहाँ की खाती है लेकिन यहाँ की सभ्यता संस्कृति से आपको खीझ है और पश्चिमी संस्कृति से प्रेम! भगवान बचाए लेकिन हम गंवार ही सही है !

इक तरफ सारे मर्द जाती मिलकर प्रोटेस्ट कर रहे है दूसरी तरफ महिलाओ द्वारा ही नहीं मर्दों द्वारा भी मर्दों को कुते से भी गिरा हुआ , निर्लज, भेडिया, नपुंसक और ना जाने कितनी सारी उपाधिया दी जा रही है ! मैं पूछता हूँ की आप लोग जो उपाधियों के किताब लिए बैठे हो आप ने क्या किया ? क्या सिर्फ आपको बाते ही बनाना आता है मेरी तरह ... तो मेरी तरह ही चुप रहना सीखो किसी को भी उपाधियाँ तब तक ना दो जब तक आप इस काबिल ना हो जाओ !

 प्रकृतिक रूप से कुछ जीव शाकाहारी और मंशाहरी बनाये गए है अगर शेर के सामने कोई हिरन कुलाचे भरेगी तो शेर क्या करेगा ? “मर्द” इतिहास गवाह है की शुरू से ही नारी बस में रहा है कोई भी गीता, कुरआन पढ़ लो .... मर्द की जाती तो वही है जो इक नारी देवी के रूप में आये तो पूजता है , और रम्भा के रूप में आये तो भोग करता है ... आज की नारी  ये अपनी मर्यादा क्यूँ भूल गयी है ? मर्द तो हर रूप की पूजा करता आया है आपका और करता रहेगा ! फैसला नारी जाती पे है की आप मर्दों से क्या चाहती है !

आखिर में मैं इतना जरुर कहना चाहूँगा “बेशर्म महिलाओ के साथ बलात्कार बलात्कार नहीं इक महज दुर्घटना है “ क्यूंकि मैंने यही पढा और सुना है अपनी संस्कृति में की लाज ही नारी जाती का असली गहना है जिनके बिना वो मृत के समान है! अब गुस्ताखी के लिए हमे माफ करे हम आपके सुझाव पे अमल करेंगे कृप्या अपना सुझाव जरुर दे ! धन्यवाद ....

जय हिंद !


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