शनिवार, 12 नवंबर 2011

dhruv mamorel trest








1 टिप्पणी:

  1. सुप्रभात ,
    नमन करू मै परमसत्ता को और उसके रचे संसार को
    संकीर्णता त्यागे,नियमित योग से स्थिर करे विचार को
    पक्षपात ,अन्याय,शोषण करनेवाले न करे विस्तार को
    साधना बाधित न हो,देखकर ज्ञानिओ के व्यवहार को
    एकांत -साधना और ----प्रभु भजन

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