Suprabhat-aap hum & hamri soch

जिंदगी को बदलने में वक्त नहीं लगता पर वक्त को बदलने में जिंदगी लग जाती है- अरविन्द कु पाण्डेय

शनिवार, 12 नवंबर 2011

dhruv mamorel trest








प्रस्तुतकर्ता Dhruvmemorial(suprabhat) पर 11:47 pm 1 टिप्पणी:
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करेंPinterest पर शेयर करें
स्थान: Deoria, Uttar Pradesh, India
नई पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें संदेश (Atom)

ब्लॉग आर्काइव

  • ►  2014 (7)
    • ►  मई (7)
  • ►  2013 (10)
    • ►  अगस्त (1)
    • ►  जुलाई (6)
    • ►  जून (1)
    • ►  फ़रवरी (1)
    • ►  जनवरी (1)
  • ►  2012 (164)
    • ►  दिसंबर (5)
    • ►  नवंबर (13)
    • ►  अक्टूबर (11)
    • ►  सितंबर (17)
    • ►  अगस्त (11)
    • ►  जुलाई (2)
    • ►  जून (2)
    • ►  मई (15)
    • ►  अप्रैल (23)
    • ►  मार्च (65)
  • ▼  2011 (2)
    • ►  दिसंबर (1)
    • ▼  नवंबर (1)
      • dhruv mamorel trest

जय माँ विंध्यवासिनी

जय माँ विंध्यवासिनी

यह ब्लॉग खोजें

Popular Posts

  • Devraha Baba
    Devraha Baba   Brambha Rishi Yogiraj Shree Devraha Baba Shree Devraha Baba was one of the gre...
  • (शीर्षकहीन)
     समय का कंठ नीला है हमारी आत्मा का रंग नीला होता है। सारी आत्माएं शिव के नीले कंठ में निवास करती हैं, अपना रंग वहीं से लेती ...
  • मसिजीवी
    थेकेडी के एक मसाला उद्यान की यात्रा देश के तमाम राज्‍यों की तुलना में पर्यटन का जितना विकास केरल ने किया है उतना शायद किसी और रा...
  • ब्रह्मगिरी पहाडि़यों में बसा भारत का स्कॉटलैंड - कुर्ग
    कुर्ग के बारे में काफी सुना था। गर्मी की छुट्टियों में वक्त मिला तो आनन् फानन...
  • मदनमोहन मालवीय
    महामना मदन मोहन मालवीय ( Madan Mohan Malaviya) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भ...
  • कम मात्रा में 5-6 बार खाना सेहत को बेहतर
    बरसों तक दिन  में तीन बार खाने का सिस्टम बना रहा। फिर इसमें कुछ बदलाव आए और एक्सपर्ट्स ने दिन में तीन बार मेन मील (ब्रेकफास्ट, लंच और ...
  • स्वास्तिक का महत्व............
    स्वास्तिक को चित्र के रूप में भी बनाया जाता है और लिखा भी जाता है जैसे "स्वास्ति न इन्द्र:" आदि. स्वास्तिक भारतीयों में...
  • पत्ता गोभी
    जलवायु :- बंद गोभी की अच्छी वृद्धि के लिए ठंडी आद्र जलवायु  की आवश्यकता होती है इसमें पाले और अधिक् तापमान को सहन करने की विशेष...
  • असफलता की समीक्षा
    हमे अपनी हार अथवा असफलता की समीक्षा अवश्य करनी चाहिए; जिससे कि हम अपनी कमियों को दूर कर लक्ष्य प्राप्ति में सफल हों। वैसे हम ऐसा करते भी...
  • (शीर्षकहीन)
    उदयपुर शहर, दक्षिणी राजस्थान राज्य , पश्चिमोत्तर भारत में, अरावली पर्वतश्रेणी पर स्थित है। पूर्व का वेनिस और भारत का दूसरा काश्मीर ...

कुल पेज दृश्य

सुप्रभात

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
Dhruvmemorial(suprabhat)
"मृत्यु - बोध " साँसों के रेशे जब खोल रहे होंगे मेरी देह से बंधी अंतिम गाँठ मेरा मन पकायेगा मेरी देह के चूल्हे पर सफ़र का अंतिम कलेवा और तुम भटकोगी प्रेम की गठरी सिर पर लिए दो देह लिप्त सभ्तायों के बिच, विवश उस निमिष अंतिम बार सुनूंगा मैं ... ... इन छप्परों पर से गुजरते परिंदों के झुण्ड का कलरव और याद आ जायेगा एक पिली शाम में उड़ता धानी आँचल विन्ध्य के बियाबानों में खोती एक आदिम कमंचे की धुन तेरे लिए चुराकर लाये मकई के हरे भुट्टे शायद ही मैं याद कर पाऊं जीवन भर के संग्राम मेरी असफलतायें रेत के निरर्थक टीलों पर मेरे अहम् का विजयघोष तुम देखना ... अविराम मेरी आँखों में ताकि सुन सको हमारे प्रणय का अंतिम गीत और मैं आत्मसात कर पाऊं विछोह की छाछ पर मक्खन बन उभर आई तेरी अम्लान छवि शायद वो अंतिम मंथन होगा हमारे सम्बन्धों का मेरी संततियों....! जब तुम रो पड़ोगे आदतन दांतों से नाख़ून कुतरते हुये मेरी चारपाई का उपरी पायदान पकड़ कर तब माफ़ कर देना अपने सर्जक को उसकी अक्षमता को शायद इस जीवन की निरंतरता का सत्य... ..........इसके अपूर्ण रह जाने में ही हैं जैसे वादन के बाद विराम उच्छ्वास के बाद निःश्वास तुम्हारी मान्यतायें मुझे मृत घोषित कर देगी देह की परिधियों पर और मैं भभक कर जी लूँगा अपनी मौत........................//
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
dhruv mamorel. चित्र विंडो थीम. Blogger द्वारा संचालित.